कौन कहता है वक़्त बुरा है ! कौन कहता है वक़्त बुरा है !
आँखों को झील,चेह्रे को कंवल नहीं कहता मुहब्बत से लबरेज़ कोई गज़ल नहीं कहता । मेरी रौ आँखों को झील,चेह्रे को कंवल नहीं कहता मुहब्बत से लबरेज़ कोई गज़ल नहीं कहता । ...
प्यार करना ये कबसे खता हो गयी। प्यार करना ये कबसे खता हो गयी।
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
गैरों के लिए खुद को मिटाकर अपना स्वर्ण सर्वस्व लुटाकर। गैरों के लिए खुद को मिटाकर अपना स्वर्ण सर्वस्व लुटाकर।
उन्होंने ही बनाया भारत को महान उन वीरों को मेरा सलाम। उन्होंने ही बनाया भारत को महान उन वीरों को मेरा सलाम।